वरुण तेज की “MATKA” – गैंगस्टर ड्रामा जो थ्रिल की कमी से जूझती है

"MATKA"

फिल्म का नाम: मटका (MATKA)
रिलीज डेट: 14 नवंबर, 2024
रेटिंग: 2.75/5
मुख्य कलाकार: वरुण तेज, मीनाक्षी चौधरी, नोरा फतेही, किशोर, नवीन चंद्र, अजय घोष
निर्देशक: करुणा कुमार
निर्माता: विजेंदर रेड्डी तिगाला, रजनी तल्लुरी
संगीत निर्देशक: जी. वी. प्रकाश कुमार
सिनेमेटोग्राफी: ए. किशोर कुमार
एडिटर: कार्तिका श्रीनिवास

फिल्म की कहानी

“MATKA” की कहानी 1950 के दशक के अंत से शुरू होती है। इसमें वासु (वरुण तेज) एक शरणार्थी के रूप में बर्मा से विशाखापत्तनम (विजाग) आता है। जल्द ही, वह अपराध की दुनिया में प्रवेश करता है और धीरे-धीरे क्षेत्र का एक प्रमुख व्यवसायी बन जाता है। उसकी जिंदगी में बड़ा मोड़ तब आता है जब मुंबई की एक यात्रा के दौरान वह “MATKA”के खेल से परिचित होता है। इस खेल में उसकी दिलचस्पी इतनी बढ़ जाती है कि वह इसे विजाग में लाने का फैसला करता है और देखते ही देखते”MATAKA” किंग बन जाता है। हालांकि, यह कहावत सच होती है कि जो ऊपर जाता है, वह एक दिन नीचे भी आता है। वासु का मटका साम्राज्य तब खतरे में पड़ जाता है जब भारतीय सरकार उसकी गतिविधियों पर शिकंजा कसने लगती है। बाकी कहानी इसी संघर्ष पर आधारित है कि कैसे वासु अपने साम्राज्य को बचाने की कोशिश करता है और अंत में उसके साथ क्या होता है।

फिल्म के सकारात्मक पहलू

फिल्म में वरुण तेज का प्रदर्शन सबसे प्रभावशाली है। उन्होंने वासु के किरदार को बखूबी निभाया है, जिसमें उनके विभिन्न आयु समूहों के जीवन को दिखाया गया है। विशेष रूप से फिल्म के दूसरे भाग में उनका गैंगस्टर अवतार काफी दमदार दिखाई देता है। वरुण तेज की अभिनय क्षमता ने वासु के किरदार को जीवंत बना दिया है।

मीनाक्षी चौधरी को स्क्रीन पर ज्यादा समय नहीं मिला, लेकिन जितनी देर वह दिखाई दीं, उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। दूसरे भाग में फिल्म में थोड़ा ड्रामा और भावनाएं दिखाई देती हैं जो दर्शकों को बांधने में कुछ हद तक सफल होती हैं। नवीन चंद्र ने अपने किरदार में अच्छा काम किया है, हालांकि उनके किरदार को और अधिक विस्तार देने की गुंजाइश थी।

फिल्म की प्रोडक्शन डिज़ाइन बहुत ही शानदार है। पुराने जमाने के वातावरण को बड़े ही यथार्थ तरीके से पर्दे पर उतारा गया है। इसके लिए आर्ट डिपार्टमेंट की तारीफ करनी होगी। नोरा फतेही को भी एक महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है, जिसमें उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है।

फिल्म के नकारात्मक पहलू

फिल्म का सबसे बड़ा कमजोर पहलू इसकी कहानी है, जो काफी पुरानी और थकी हुई लगती है। यह एक साधारण सी कहानी है, जिसमें एक व्यक्ति का अपराध की दुनिया में प्रवेश करना, फिर रईस बनना, और दुश्मनों से संघर्ष करना शामिल है। ऐसी कहानियां पहले भी कई बार देखी जा चुकी हैं, और “MATAKA”में कुछ नया देखने को नहीं मिलता।

पहला हाफ फिल्म का सबसे बोरिंग हिस्सा है। वासु के छोटे-मोटे अपराध से लेकर मटका किंग बनने तक की यात्रा को बहुत ही धीमे और उबाऊ तरीके से दिखाया गया है। इस तरह की फिल्मों में जो रोमांच और थ्रिल होने चाहिए, वे “MATKA”में बिल्कुल नदारद हैं।

निर्देशक करुणा कुमार की कहानी में प्रवेश करने में काफी समय लगता है। दूसरे हाफ में भी कहानी शुरू से ही काफी प्रेडिक्टेबल लगती है। फिल्म में नाटकीयता तो है, लेकिन उसमें गहराई और आकर्षण की कमी है। प्रिक्लाइमेक्स और क्लाइमेक्स में दो गानों का होना भी फिल्म की गति को धीमा कर देता है।

कई महत्वपूर्ण किरदारों की कहानी की विकास अधूरी सी लगती है। फिल्म का नैरेटिव बहुत ही सपाट है, और एक समय के बाद इसमें कोई भी दिलचस्प मोड़ नहीं आता। केवल वरुण तेज की एक्टिंग ही इस फिल्म को कुछ हद तक संभाल पाती है।

तकनीकी पक्ष

फिल्म के तकनीकी पक्ष की बात करें तो प्रोडक्शन वैल्यू बहुत ही शानदार है। पुराने जमाने की सेटिंग को जिस यथार्थवाद के साथ दिखाया गया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। जी. वी. प्रकाश कुमार ने फिल्म का संगीत दिया है, जो खास प्रभावित नहीं कर पाता। उनके गाने तो औसत हैं, लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक निराशाजनक है।

डायलॉग्स की बात करें तो करुणा कुमार ने कुछ बेहतरीन संवाद लिखे हैं, लेकिन यह फिल्म के धीमे नैरेटिव को बचाने में सफल नहीं हो पाते। एडिटिंग के मामले में, फिल्म का पहला हाफ बहुत ही सुस्त है। करीब 10 मिनट की कटौती की जा सकती थी, जो फिल्म की लंबाई को थोड़ा कम करती।

निर्देशक का दृष्टिकोण

करुणा कुमार अपनी फिल्मों में गहरे नाटकीयता के लिए जाने जाते हैं, लेकिन “MATKA” में वह अपने स्तर पर खरे नहीं उतर पाए। फिल्म की कहानी और भावनाएं आपस में मेल नहीं खातीं, जिससे फिल्म कहीं न कहीं दर्शकों को निराश करती है। कहानी में बहुत सी संभावनाएं थीं, लेकिन निर्देशन में जोश की कमी दिखती है।

फिल्म के प्रिक्लाइमेक्स में वरुण तेज का एक लंबा संवाद है, जो कि एकमात्र ऐसा क्षण है, जो दर्शकों को प्रभावित करता है। इसके अलावा फिल्म में कोई ऐसा मोमेंट नहीं है, जो दर्शकों को बांध सके।

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